MAHAKUMBH 2025 AGHORI : एक रहस्यमयी दुनिया की कहानी

MAHAKUMBH 2025 AGHORI : अघोरी शब्द सुनते ही जो छवि दिमाग में उभरती है, वो काफी अलग है. उनका जो रूप सामने आता है, वो है राख लपेटे, इंसानी शव का मांस खाने वाले, जादू टोना और तंत्र-मंत्र करने वाले एक बाबा का. अघोरी संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है, उजाले की ओर.’ अघोरियों को पवित्र और सभी बुराइयों से मुक्त समझा जाता है. लेकिन असल में है इसके विपरीत. अघोरियों की दुनिया एकदम अलग-थलग और विचित्र है. माना जाता है कि इनके पास पारलौकिक शक्तियां होती हैं और पूर्णमासी की रात को लाश पर बैठकर तंत्र साधना करते हैं और मानते हैं कि मृतक से इनको ऊर्जा प्राप्त होती है. आइये जानते हैं अघोरियों की रहस्यमयी दुनिया के बारें में

  • अघोरी कौन होते हैं
  • अघोर पंथ का इतिहास
  • अघोरियों की साधनाएं
  • श्मशान साधना
  • अघोरी और भगवान शिव
  • अघोरियों का रहन-सहन
  • अघोरी कच्चा मांस क्यों खाते हैं
MAHAKUMBH 2025 AGHORI
अक्सर आपने चर्चा में अघोरियों के बारे में सुना होगा अघोरियों को लेकर काफी बातें कही जाती है जैसे की अघोरियों की एक रहस्य्मय दुनिया होती है अघोरी कच्चा मांस खाते है तंत्र मंत्र करते है इसके अलावा काफी लोगो के मन में यह सवाल होता है की अघोरी समशान में ही तपस्या साधना क्यों करते है तो चलिए दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको अघोरियों के रहस्य्मय जीवन से जुडी हुई सभी बातें बतायंगे जिसके बारे में आप सभी अक्सर सोचा और एक दूसरे से पूछा करते है। Prayagraj Kumbh Mela 2025 - कब और कहां लगेगा I शाही स्नान तिथियां I तीर्थ स्थल I खर्चा  

MAHAKUMBH 2025 AGHORI

अघोरी कौन होते हैंWho are Aghori?

अघोरी, यह नाम सुनते ही एक भयावह छवि उभरती है - राख में लिपटा शरीर, लंबे बाल, गले में मुण्ड माला, और माथे पर तिलक। लेकिन "अघोरी" का शाब्दिक अर्थ "सरल और उजाले की ओर" होता है। यह साधु, भगवान शिव के परम उपासक माने जाते हैं और जीवन मृत्यु के बीच के भय को त्यागकर आत्मज्ञान की खोज में रहते हैं।

अघोरियों का इतिहास - History of Aghori

अघोर पंथ की उत्पत्ति भगवान शिव से मानी जाती है। इस पंथ में बाबा कीनाराम को विशेष महत्व दिया गया है। अघोर पंथ की जड़ें प्राचीन हिन्दू धर्म के कपालिक और कालमुख संप्रदायों में मानी जाती हैं। यह पंथ 7वीं और 8वीं सदी में उभरा और तंत्र-मंत्र में अपनी गहरी पकड़ रखता है।

अघोरियों की साधनाएं

अघोरी मुख्य रूप से तीन प्रकार की साधनाएं करते हैं:

  1. श्मशान साधना: श्मशान घाट में शव पीठ पर पूजा की जाती है। प्रसाद के रूप में मावा अर्पित किया जाता है।
  2. शिव साधना: भगवान शिव की उपासना में ध्यान और तंत्र क्रियाएं की जाती हैं।
  3. शव साधना: शव पर बैठकर साधना की जाती है। इसमें मृतक से ऊर्जा प्राप्त करने की मान्यता है।

अघोरी और श्मशान घाट

श्मशान घाट को अघोरियों के लिए पवित्र स्थान माना जाता है। यहाँ की गई साधनाओं से उन्हें आत्मज्ञान और तंत्र शक्ति प्राप्त होती है। मान्यता है कि यह साधनाएं कामाख्या पीठ, तारा पीठ और उज्जैन के चक्र तीर्थ के श्मशान में अधिक प्रभावी होती हैं।

History of Aghori
अघोरियों का आहार और रहन-सहन

अघोरी कच्चा मांस और शराब का सेवन करते हैं। उनका मानना है कि इससे उनकी तंत्र शक्तियां प्रबल होती हैं। वे इंसानी खोपड़ी का उपयोग बर्तन के रूप में करते हैं, जिसे कापालिक परंपरा से जोड़ा जाता है।

अघोरियों का स्वभाव

अघोरियों का बाहरी रूप कठोर और डरावना हो सकता है, लेकिन उनके मन में जनकल्याण की भावना होती है। कहा जाता है कि यदि अघोरी किसी पर प्रसन्न हो जाएं, तो वे उसे अपनी सिद्धियों का लाभ भी दे सकते हैं। हालांकि, उनका गुस्सा अत्यंत भयावह होता है। Mahakumbh 2025 Parking | महाकुंभ 2025 पार्किंग होगी ऑटोमैटिक जानिए क्या है सीक्रेट 

अघोरी बनने की प्रक्रिया

अघोरी बनने के लिए व्यक्ति को अपने मन से घृणा, मोह और मृत्यु का भय पूरी तरह से समाप्त करना होता है। समाज जिन चीजों को त्याज्य मानता है, अघोरी उन चीजों को स्वीकार करते हैं।

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अघोरी और भगवान शिव का संबंध

अघोरियों के लिए भगवान शिव ही सबकुछ हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने ब्रह्मा का सिर काटा और पूरे ब्रह्मांड में विचरण किया। शिव के इसी रूप को मानते हुए अघोरी अपने साथ नरमुंड रखते हैं।

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अघोरियों की मृत्यु और अंतिम संस्कार

जब किसी अघोरी की मृत्यु होती है, तो उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जाता। उसके शव को गंगा में बहा दिया जाता है। यह माना जाता है कि इससे उसके सभी पाप धुल जाते हैं।

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