Prayagraj Kumbh Mela 2025: भारत के प्राचीन शहरों में से एक शहर प्रयागराज है। प्राचीन ग्रंथो में प्रयाग या तीर्थ राज नाम से प्रसिद्ध भारत के सबसे प्रवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है प्रयागराज। (त्रिवेणी संगम क्यों प्रसिद्ध है?) प्रयाग का मतलब होता है संगम, तीन प्रवित्र नदिया गंगा यमुना और अदृश्य स्वरसती नदी के मिलन बिंदु को संगम के नाम से जाना जाता है और आपको बतादे संगम को संस्कृत में प्रयाग कहा जाता है। इसी प्रवित्र त्रिवेणी संगम पर स्तिथ होने के कारण इस स्थान को प्रयागराज कहा जाता है। सनातन धर्म को पालन करने वाले लोगो के लिए यह एक प्रवित्र स्थान है।
Prayagraj Kumbh Mela 2025
कुंभ कितने प्रकार के होते हैं?: प्रयागराज में प्रतिवर्ष माघ मेला, प्रत्येक 6 वर्ष में अर्धकुंभऔर हर 12 वर्ष में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। कुंभ के मेले में कितने लोग आते हैं?: आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2025 के महाकुंभ में लगभग 40 करोड़ लोगो के सम्मिलित होने का अनुमान लगाया जा रहा है। 2025 में त्रिवेणी संगम का तट लगभग 900 मीटर छोड़ा बनाया गया हैजहा पर मेले में आये गए लोगो के स्नान की वयवस्था की जाएगी। महाकुंभ वह पर्व है जब इस धरती पर तीर्थ यात्रियों का सबसे बड़ा जमावड़ा होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह शहर भारत के स्वतंत्र संग्राम के कई महत्वपूर्ण घटनाओ का साक्षी भी रहा है।
स्वागत है आप सभी का ज्ञान वर्ल्ड में इस आर्टिकल में हम जानेंगे।
- प्रयागराज तक हम कैसे पहुंच सकते है।
- यहाँ रहने की क्या क्या सुविधाएं है।
- कुंभ मेले में शाही स्नान की तिथियां क्या होंगी।
- कौन कौन से दर्शन स्थल है जहा आपको जरूर जाना चाहिए।
- प्रयागराज आने का सही समय
- मेले में खाने पिने की क्या क्या सुविधा है।
- मेले में जाने के लिए प्रति व्यक्ति कितना खर्च होगा।
How To Reach Kumbh Mela
एक बार आप प्रयागराज एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन पहुंच जाते है उसके बाद संगम तट पर पहुंचने के लिए आपको शेयरिंग ऑटो या प्राइवेट ऑटो टैक्सी वगेरा आपको आसानी से मिल जाते है आप अपने बजट के हिसाब से प्राइवेट या शेयरिंग ऑटो टैक्सी का चयन कर सकते है और 20 से 30 मिनट के समय में आप रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट से कुंभ मेले तक पहुंच सकते है।
PRAYAGRAJ KUMBH MELA 2025 REGISTRATION
PRAYAGRAJ KUMBH MELA 2025 BOOKING: चलिए अब जानते है प्रयागराज कुंभ मेले में रहने या टेंट बुकिंग की क्या सुविधा है, टेंट बुकिंग के लिए आप गूगल पर सर्च कर सकते है "Prayagraj TentBooking" आपके बजट के हिसाब से आप अपने पैकेज का चयन कर सकते है जिसमे एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन से पिक और ड्राप की सुविधा भी उपलब्ध हो जाती है। आप प्रयागराज में रुकने के लिए होटल की बुकिंग भी कर सकते है। होटल बुकिंग के लिए कुछ वेबसाइट का नाम निचे दिया गया है।
- Agoda
- Booking.com
- Make My Trip
- Trip Advisor
- Oyo
अगर आपका ज्यादा पैसे का बजट नहीं है तो आप सीधा महाकुम्भ के परिसर में पहुंच सकते है जहा पर सर्कार द्वारा अलग अलग जगहों पर रेन बसेरा शिविर की सुविधा भी उपलब्ध है जहा पर आप रात बिता सकते है साथ ही अगर आप मेला परिसर के टेंट में रहना चाहते है तो मेले में उपलब्ध पंडित ने जो टेंट लगाया है उनसे बात करके उनके साथ रह सकते है लेकिन इसके लिए वह कुछ पैसे चार्ज करते है। कोशिश करे की आप संगम के आस पास ही टेंट या होटल बुकिंग करे। इसके अलावा आप रेलवे स्टेशन के आस पास 800 से 1500 रूपए के अंदर होटल बुकिंग कर सकते है।
PRAYAGRAJ KUMBH MELA 2025 DATE SHAHI SNAN
महाकुंभ 2025 में शाही स्नान की तिथियां
SHAHI
SNAN DATE |
Special
Day Types |
13 जनवरी
2025 |
पौष
पूर्णिमा |
14 जनवरी
2025 |
मकर
संक्रांति |
29 जनवरी
2025 |
मौनी
अमावस्या |
4 फरवरी
2025 |
अचला
सप्तमी |
12 फरवरी
2025 |
माघी
पूर्णिमा |
26 फरवरी
2025 |
महा
शिवरात्रि |
नहान कब है 2025 में? यहाँ एक बात ध्यान देने योग्य है शाही स्नान से एक दिन पहले सारे प्राइवेट या पब्लिक गाड़ियों का आना जाना बंद हो जाता है तो अगर आपके पास अधिक सामान है या आप महाकुम्भ जाना चाहते है तो आप इस बात का ध्यान रखे की आप शाही स्नान से कम से कम 2 दिन पहले आप प्रयागराज पहुंचे।
चलिए जानते है प्रयागराज मेले के नजदीक कौन कौन से प्रमुख दर्शनीय स्थल है जहा आपको जरूर जाना चाहिए।
- संगम स्नान
- अकबर किला
- अक्षयवट
- बड़े हनुमान जी/लेटे हनुमान जी मंदिर
- अलोप शंकरी देवी मँदिर
- भरद्वाज पार्क
- स्वराज भवन और आनंद भवन म्युसियम
- शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क
- बेनी माधव मंदिर
- नाग वासुकि मंदिर
- शाम के समय की संगम आरती
कुंभ मेले में जाने पर आपको सबसे पहले संगम स्नान करना चाहिए क्युकी आप कुम्भ मेले ले आये है जिसका मुख्य कारण है संगम में स्नान करना।
What is the history of Akshayvat prayagraj?
Which tree is famous in Allahabad? त्रिवेणी संगम के पास में अकबर किला है इसमें आपको अक्षय वट देखने को मिलेगा आपको बतादे यह अक्षयवट बोहोत ज्यादा प्राचीन है जो सतयुग काल से यहाँ स्थित है। How old is the akshayvat tree? सतयुग में स्वयं नारायण भगवन यहाँ प्रकट हुए थे, त्रेता युग में भगवान् श्रीराम यहाँ आये थे, द्वापर युग में भगवान् श्री कृष्ण यहाँ आये थे और कलयुग में हम सभी को यहाँ जाना चाहिए।
बड़े हनुमान मंदिर प्रयागराज का इतिहास क्या है?
प्रयागराज में हनुमान जी लेटे क्यों हैं? अक्षयवट से कुछ ही दूरी पर बड़े हनुमान जी/लेटे हनुमान जी मंदिर है लंका विजय के बाद जब प्रभु श्रीराम के साथ जब हनुमान जी लौटे तब माता सीता ने इसी स्थान पर विश्राम करने के लिए कहा और इसी स्थान पर प्रभु हनुमान जी ने लेट कर विश्राम किया था तभी यहाँ पर बड़े हनुमान जी/लेटे हनुमान जी मंदिर का निर्माण किया गया और लेते हनुमान जी की प्रतिमा रखी गयी। कहते है की संगम स्नान के बाद अगर आपने बड़े हनुमान जी/लेटे हनुमान जी मंदिर का दर्शन नहीं किया तो आपकी यात्रा अपूर्ण मानी जाती है। तो संगम स्नान के बाद बड़े हनुमान जी/लेटे हनुमान जी मंदिर का दर्शन जरूर करे।
प्रयागराज में माता का कौन सा शक्तिपीठ है?
इसके बाद आपको माँ अलोप शंकरी देवी मँदिर जरूर जाना चाहिए जोकि एक शक्तिपीठ है जहा पर माँ शंकरी के हाथ का पंजा गिरा हुआ था यह मंदिर बोहोत ही ज्यादा अद्भुत है जहा पर आपको एक झूले के दर्शन होते है यहाँ आकर आपको एक अलग की शक्ति की अनुभूति होगी।
Maharshi Bharadwaj Ashram
10 रूपए की एंट्री फीस देकर अब आप भरद्वाज पार्क घूम सकते है (रामायण में भारद्वाज कौन है?) जब भगवान् राम पहली बार चित्रकूट की तरफ जा रहे थे तो इसी आश्रम में महर्षि भरद्वाज के पास जाकर चित्रकूट जाने का रास्ता पुछा था और दूसरी बार जब प्रभु श्रीराम जब वनवास जा रहे थे तो महर्षि भरद्वाज से यही मिले थे।
महर्षि भरद्वाज आश्रम के सामने ही आपको नेतराम मूचंद एंड सन्स होटल मिलेगा जोकि प्रयागराज का काफी मशहूर होटल है तो घूमने के बाद कम पैसे में आप यहाँ स्वादिष्ट भोजन कर सकते है।
भारद्बाज पार्क के बाद अब अगर आप म्युसियम घूमने के इक्छुक है तो आप स्वराज भवन और आनंद भवन जा सकते है इसके बगल में ही शहीद चंद्र शेखर आजाद भवन है ये वही स्थान है जहा शहीद चंद्र शेखर आजाद जी को अंग्रेजो ने चारो और से घेर लिया था तो उन्होंने सरेंडर करने के बजाय खुद को गोली मारना सही समझा था। इस पार्क को घूमने में आपको 1 से 2 घंटे लग सकते है।
शहीद चंद्र शेखर आजाद पार्क घूमने के बाद पार्क के सामने ही पंडित जी की चाट ऐसी एक दूकान दिखेगी जहा का चाट काफी ज्यादा प्रसिद्ध है यह शाम 4 बजे से 9 बजे तक खुला रहता है। तो प्रयागराज के यह दो प्रसिद्ध रेस्टॉरेंट के भोजन का आपको आनंद जरूर लेना चाहिए।
- नेतराम मूचंद एंड सन्स रेस्टॉरेंट
- पंडित जी की चाट
Prayagraj Kumbh Mela 2025
अगर आप महाकुंभ घूमने आये है तो मेले के परिसर के आपको खाना खाने के काफी सारे स्टाल मिल जायँगे तो आपको महाकुंभ में भोजन से जुडी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
triveni sangam aarti: यह सभी जगह घूमने के बाद आप शाम के समय आप दुबारा त्रिवेणी संगम पर जा सकते है और गंगा आरती का लाभ उठा सकते है यहाँ पर शाम के समय बहुत सुन्दर माँ गंगा और त्रिवेणी संगम आरती होती है तो आप इसका भी लाभ अवश्य उठाये।
चलिए आखिर में जानते है महाकुंभ में जाने के लिए लगभग कितना खर्चा हो सकता है आप अपने बजट के हिसाब से प्लान का चयन कर सकते है। निचे हमने आपके लिए कुछ प्लान बनाया है।
PER
DAY PER PERSON EXPENSES |
||
EXPENSES |
PER
DAY (MINIMUM) |
PER
DAY (MAXIMUM) |
STAY |
500 |
5000 |
FOOD |
500 |
500 |
TRAVELLING IN PRAYAGRAJ |
500 |
500 |
MISCELLANEOUS EXPENSES |
500 |
500 |
TOTAL EXPENSE PER DAY |
2000 |
6500 |
***
TRAIN / FLIGHT EXPENSE EXTRA *** |
आशा करता हु की आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा मिलते है महाकुम्भ 2025 के मेले में।